. || काळा सघळे काग (दोहा)||
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
बउ बोले नई बाई तो, रहे कटम मां राग
जांण्युं चारण जोगडा, काळा सघळे काग
जांण्युं चारण जोगडा, काळा सघळे काग
मात जण्या थी मागता, भोरिंग थई ने भाग
जगत बधी मां जोगडा, काळा सघळे काग
जगत बधी मां जोगडा, काळा सघळे काग
पारवडां कई पाळीये,ई, निकळे काळा नाग
जोय विचारो जोगडा,अहीं,काळा सघळे काग
जोय विचारो जोगडा,अहीं,काळा सघळे काग
मलकी आवे मोढडे,ऐणे, दल मां ढांकेल दाग
ई, जोता मोको जोगडा, काळा सघळे काग
ई, जोता मोको जोगडा, काळा सघळे काग
माथा कापे मोर थी, अने, पछी घरे सीर पाग
जुठूं जुके बउ जोगडा, काळा सघळे काग
जुठूं जुके बउ जोगडा, काळा सघळे काग
सिखवाडो समशीर ई, खेचें सनमुख खाग
जाय भुली गण जोगडा, काळा सघळे काग.
जाय भुली गण जोगडा, काळा सघळे काग.
तरक बुधी थी तावियें, तोय मळे नई ताग
जुदान दीसता जोगडा, काळा सघळे काग
जुदान दीसता जोगडा, काळा सघळे काग
फूल न होये फांकडुं, तोय, बधे बतावे बाग
जांण थतां के जोगडो, काळा सघळे काग
आळे टोळे आपनो, लेवा मथता लाग.
जाकुब घंघे जोगडा, काळा सघळे काग
जांण थतां के जोगडो, काळा सघळे काग
आळे टोळे आपनो, लेवा मथता लाग.
जाकुब घंघे जोगडा, काळा सघळे काग
वचनो देवा विहरता, करे, चुंटणीयुं नां चाग
जरी फरक नई जोगडा, काळा सघळे काग
जरी फरक नई जोगडा, काळा सघळे काग
आंगण हरखे आवता, मतनी करता माग
जीत्ये न जांणें जोगडा, काळा सघळे काग
जीत्ये न जांणें जोगडा, काळा सघळे काग
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