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24 दिसंबर 2015

पाणानो पोकार रचीता :- भगत बापु

( पाणानो पोकार )
रचीता :- भगत बापु
(कर मन भजननो वेपार जी - ए राग)
भाइ मने कोणे बनाव्यो भगवानजी
कोणे घडयो भगवान कोणे मारुं भलावी दीधुं भान, भाइ.  टेक
टाढ खातो, तडको खातो, खातो मेघनुं मान जी (२);
पवन खातो प्रेमथी भाइ (२) धरतो आतम ध्यान. भाइ …१
धूपदीपना धंध मचावी, मने पीरसे छे पकवान जी (२);
पूजारी लावे मीठा मेवा (२), (पण) भोजननुं नथी भा. भाइ …२
अंगडा कापी ऊभो राख्यो, मोटुं दीधुं मान जी (२);
सोना केरे संग करावी (२), मने कीधो बंदीवा। भाइ …३
डुंगरडाने माथे रे'तो मारुं मन हतुं मस्तान जी (२);
हेठुं कदी नव हेरतो (२) मारी आंख हती आसमान. भाइ …४
देयुं अमारी दानमां दई अमे, चणता कंईक मकान जी (२);
हरि बनी में हाथ लंबाव्या (२), लेवां पडे छे दान. भाइ … ५
प्रभुमांथी मारे पथ्थर थावुं नथी जोतुं आ मान जी (२);
'काग' पुकारे आरसपहाणो (२), मारे जावुं छे जूने स्थान. भाइ  …६
रचना :- दुला भाया काग (भगत बापु)
टाइप :- सामरा पी गढवी
मोटी खाखर
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