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4 जनवरी 2016

|| सोनल मां नो भाव ||. राग : माताजी कहे छे बिये मारो मावो. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)

चारण कुळ चंडी विश्वेश्वरी भगवती आई सोनबाई नो जन्म दीन ऐटले चारणो नो सगती परंपरा नो सुरज मढडे उग्यो ऐ दीवस नी हारदीक वधायुं माटे भगवती सोनल ना भाव साथे हैया ना भाव ....जय मा जगदंबीके सोनल ...वंदे सोनल मातरम्...
.            || सोनल मां नो भाव ||
.   राग : माताजी कहे छे बिये मारो मावो
.     रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
.                           दोहो
आयल तें अजवाळीयुं, जगमां अमणी जात
जोगण सोनल जोगडा,  मढडे जनमी  मात.
.                         भाव
ऐवी मढडे पधारी तुं ममताळी रे..
जगदंबा सोनल जागती रे..
माडी भव दख भागे तमने भाळी रे..
लाखेंणी अंबा लागती रे...टेक
हरख्या हमीर जेदी  पारणे तुं पोढी रे..
ओल्या नवे ग्रहो ओढणला मां ओढी रे..
त्रीलोकी माया तागती रे.....ऐवी मढडे पधारी.....||01||
छोरुं रे गणीं ने कीधा समाजे सुधारा रे...
एवा भुंडा करम केरा बधा भारा रे......
माताजी पाछा मागती रे.....ऐवी मढडे पधारी.....||02||
दारु रे ग्रही ने जेंणे दलडां दुभाव्यां रे..
एने तेने तेल नी कडा मां जमडांये ताव्या रे
लायुं रे ऐने लागती रे......ऐवी मढडे पधारी .....||03||
देख्युं ना दणीं मां कोये ऐवुं जोयुं  आजे रे...
तारा गळा मां हजारो  सावज गाजे रे ...
व्योमे रे पेंजण वागती रे..ऐवी मढडे पधारी ......||04||
खारा रे खेतर मां तें फुलडां खीलाव्या रे...
जेने जोगीदाने हैया मां रे जगाव्यां रे.....
बाई तूं  मोटी बागती रे.......ऐवी मढडे पधारी ...||05||
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