. शंकर अघ हर स्हाय करे
. छंद :- रेणंकी - अधरोष्ट
. रचना :- चारण महात्मा श्री पालु भगत
घट घट गती उलट सुलट कट संकट, झट झट हट अग्यान हटे,
नट खट नट नीकट हटक वृती खट नट, तट गट सीकर सरीत तटे,
रट रट रस घटक चटक ध्यावत चित्त, विकट कटक जुट कष्ट हरे,
जय जय शिर गंग जटाधर जडधर, शंकर अघहर स्हाय करे.
जीय शंकर अघहर स्हाय करे...1
नट खट नट नीकट हटक वृती खट नट, तट गट सीकर सरीत तटे,
रट रट रस घटक चटक ध्यावत चित्त, विकट कटक जुट कष्ट हरे,
जय जय शिर गंग जटाधर जडधर, शंकर अघहर स्हाय करे.
जीय शंकर अघहर स्हाय करे...1
नीरखत जग नृत्य करत गती अविगत, अविरत रत हरी रस रटनंग,
लटकत गल नाग झेर जल घटकत, अटकत जटकत द्रग अटनंग,
विहरत कैलाश वास अविनासी, नीत नीत हित चित्त नजर धरे,
जय जय शिर गंग जटाधर जडधर...2
लटकत गल नाग झेर जल घटकत, अटकत जटकत द्रग अटनंग,
विहरत कैलाश वास अविनासी, नीत नीत हित चित्त नजर धरे,
जय जय शिर गंग जटाधर जडधर...2
वन वन वन नुतन व्यसन सुध्ध विचरन, चरन द्युली सुर द्रगन चहे,
दिन दिन उर ध्यान नेह दिनन तन, नैनन नीज जन लगन लहे,
अन धन तन अरुज ग्यान दानी धन, वर्षन हर्षन को विचरे,
जय जय शिर गंग जटाधर जडधर...3
दिन दिन उर ध्यान नेह दिनन तन, नैनन नीज जन लगन लहे,
अन धन तन अरुज ग्यान दानी धन, वर्षन हर्षन को विचरे,
जय जय शिर गंग जटाधर जडधर...3
सर सर हर वास चराचर डुंगर, गीरिवर कंदर सहज सजे,
कर वर धर सुल शुल हर शंकर, अडर काल डर सदा अजे,
निरजर निरवान नाथ नहि अंतर, सदा स्वतंतर ता विचरे,
जय जय शिर गंग जटाधर जडधर...4
कर वर धर सुल शुल हर शंकर, अडर काल डर सदा अजे,
निरजर निरवान नाथ नहि अंतर, सदा स्वतंतर ता विचरे,
जय जय शिर गंग जटाधर जडधर...4
अलीखीत गती अनत वेद नीत वंदत, सत वृत सुद्यकृत उन्नत रती,
उधरत जो रहत शरन रत संतत, गहत लहत जीय चहत गती,
चारन सुत वंदत तेही संतत, करुणा कर वर नजर करे,
जय जय शिर गंग जटाधर जडधर...5
उधरत जो रहत शरन रत संतत, गहत लहत जीय चहत गती,
चारन सुत वंदत तेही संतत, करुणा कर वर नजर करे,
जय जय शिर गंग जटाधर जडधर...5
कर तल नीत नाथ कुशल जल थल वल, हलचल उज्वल अचल चीतह,
औढर उर नेह सदा शिव शंकर, खट खल दल दल दील वीरतह,
द्यरीये शीर वरद हस्त वीश्वेश्वर अर्ध "अर्ध पालु" कवि उच्चरे,
जय जय शिर गंग जटाधर जडधर...6
औढर उर नेह सदा शिव शंकर, खट खल दल दल दील वीरतह,
द्यरीये शीर वरद हस्त वीश्वेश्वर अर्ध "अर्ध पालु" कवि उच्चरे,
जय जय शिर गंग जटाधर जडधर...6
श्री सुबोध बावनी मांथी पाना नंबर :- 103 पर थी
रचना :- चारण महात्मा श्री पालु भगत (ववार कच्छ) हाले काळीपाट-राजकोट
टाईप बाय :- www.charanisahity.in
हर हर महादेव
वंदे सोनल मातरम्
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