-सत्संग मां-
सत्संगे भ्रमर ने वैराग जाग्यो
भरम भांगता फरी संसार मोह जाग्यो
भरम भांगता फरी संसार मोह जाग्यो
दया न राखी दील मां
निती ऐ चाल्यो नहीं
यम नां तेडा आव्या
त्यां सफाणो जाग्यो
सत्संग मां..
निती ऐ चाल्यो नहीं
यम नां तेडा आव्या
त्यां सफाणो जाग्यो
सत्संग मां..
अवर पीडा ऐ हरखातो
ईष्याॅ भरी महीं
कष्ट आवता खुद पर
तबीब धेर भाग्यो
सत्संग मां..
ईष्याॅ भरी महीं
कष्ट आवता खुद पर
तबीब धेर भाग्यो
सत्संग मां..
हैया सौना बाण्या हवे
शितणता "देव"क्यांथी
फोगट ज्ञान ग्रंथो तणुं
जो अहम भाव जाग्यो
सत्संग मां..
शितणता "देव"क्यांथी
फोगट ज्ञान ग्रंथो तणुं
जो अहम भाव जाग्यो
सत्संग मां..
✍देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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