.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

21 जुलाई 2016

बोलता नथी - वरदान गढवी

|| बोलता नथी ||

हुं कही नथी शकतो,अने ऐ बोलता नथी,
वाय छे वायरो, छता अमे डोलता नथी.

मारा-मारा कही पराया दीशे, कोण जाण केम,
साथे उभा ऐम, जाणे ओळखता नथी........!

जुऐ रोज ऐ स्वप़्न मारा, लई लांबी निद्रा,
पण जोई ऐमनी मुद्रा, जाणे अमे गमता नथी......!

आम तो पडछाई ऐ तमे देखाव, अंधारे पण न ओलाव,
रोज नो आ बोलाव, छता ऐ सांभळता नथी......!

हुं तमारो अने कविता ऐ तमारी,   नित बने न्यारी,
रोज लखु शायरी,छता ऐ गाता नथी......!

'वरदान' हशो मौन क्या सुधी,   बंधाई   छे जीदंगी,
आववु पडशे अहीं,छता ऐ समजता नथी.....!

                       :- वरदान गढवी.

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT