.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

4 जुलाई 2016

सराकडीया नी सोन || . रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)

.          || सराकडीया नी सोन ||
.     रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
.      राग: भजां तुंने मात भालाळी

सराकड्य नेह मां सेवी, आई तुं गीयड नी ऐवी
स्वोसो स्वास समर्या जेवी, त्रणे लोक पुजता तेवी

महवाळी कज आवीया माडी, सामटा घोडे स्वार
आंख मां तेदी उतर्यो तारे, खलक जनेता जे खार
उंडण मां आभ ले एवी, त्रणे लोक पुजता तेवी..||01||

चडीयां पाडे रुप चंडीका, जुकवा लाग्यांय झाड
गढ जुनाणा ना प्हाड गणेंण्या, त्रेवडी दीधेल त्राड
जांणे जमरांण ना जेवी, त्रणें लोक पुजता तेवी..||02||

जोई पाडा पर जोगणीं त्यांतो, खभळ्यो रसूल्ल खान
पागडी नाखी नमीयो पाये, भूप ने थई ग्युं भांन
देखी आपा रांण नी देवी , त्रणे लोक पुजता तेवी..||03||

विर कही माये वारणां लीधा, अदका दई आशीस
गलढायुं लग कान मां गुंजी, चारणी केरी चीस
सोनल माने रात दी सेवी, त्रणे लोक पुजतो तेवी..||04||

जोगणीं तुं अन पुरणा जेवी, धिंगलां देती धान
सोन रांणा ना सगती साची, जांण तुं जोगी दान
लाखेंणीन समरी लेवी ,त्रणे लोक पुजतो तेवी..||05||

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT