राम बिना सुख स्वपने नाहिं, क्यों भूले गाफिल प्राणी रे. टेक
धन जोबन बादल की छाया, देख देख के क्यों ललचाया.
माटी में मिल जावे काया, रहे न एक निशानी रे .… राम बीना…
उपदेश देवे संत सुजाना, थके पुकारी वेद पुराना.
किरतारने दिया दो काना, अजहु रहे अज्ञानी रे… राम बीना…
मैथुन आहर मे मग्न मति मंदा, सार असार समजे नही अंधा.
आपकी भुलसे आप हि बंधा, पडे चोरासी खानी रे…राम बीना…
थार्यो कहे छोड दे आशा, जूठा है सब भोग विलासा.
दो दिनका देख तमासा, आखीर है सब फानी रे.… राम बीना …
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