बंघ कर....!
तुं नकामुं पळोजणमां पडवानुं बंघ कर....!
महेल रेतीमां बांघवानुं बंघ कर...!
महेल रेतीमां बांघवानुं बंघ कर...!
किनारे बेसी नजारानुं सुख भोगव,
मायकांगलो छे मरजीवा थवानुं बंघ कर...!
मायकांगलो छे मरजीवा थवानुं बंघ कर...!
सहकार सौनो लई बांघ्यु छे आ नगर,
शांत सरोवरमां पथरो फेंकवानुं बंघ कर....!
शांत सरोवरमां पथरो फेंकवानुं बंघ कर....!
खोटुं करशे ऐनी खबर लेशे खुदा,
तुं मोलवी थई माथाकूट करवानुं बंघ कर....!
तुं मोलवी थई माथाकूट करवानुं बंघ कर....!
रेखाओ पसीनानी ज चमके सौनी,
तुं मफतनुं मेळववानुं बंघ कर....!
तुं मफतनुं मेळववानुं बंघ कर....!
शुं थयुं छे ने शुं थशे कयारे थशे ?
आम झींणु कांतवानुं बंघ कर...!
आम झींणु कांतवानुं बंघ कर...!
'' चकमक '' सौ बांघे छे पाणी पहेला पाळ,
तुं उगता छोड उखेडवानुं बंघ कर....!
तुं उगता छोड उखेडवानुं बंघ कर....!
कवि चकमक.
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