वरहावी दो वादळा, कुंवर कसप रख केंण
जळ ना भारे जोगडा, निंद खुटे नई नेंण
जळ ना भारे जोगडा, निंद खुटे नई नेंण
हे कास्यप ना कुंवर भगवान सुर्य नारायण अमारे तमने वेहला जागी ने वंदन करवां होय छे पण वादळ ना जळ ना भारण थी निंदरायुं खुटती नथी तो आप ए बधुं जळ वरहावी दो अमारुं आटलुं केंण आप काने धरो , अमारा आपने नित्य वंदन छे,
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