तन कळस्यो त्रंबा तणो,रसणां सुरज रांण
जळ चडावे जोगडो, भाव दुहे नीत भांण
हे भगवान सुर्य नारायण मारुं आ तन छे ई त्रांबानो लोटो छे,(कारण क्यारे संसार नी लील वळे छे माटे सोनानो न कही सकुं)अने रसणा (जीभ) पर तारुं नाम छे, हे नारायण हुं भाव थी आपने दोहा रुपी जळ चडावुं छुं, मारा वंदन नो स्विकार करज्यो नाथ मारा आपने नित्य वंदन छे.
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