उगमणी दस्य ओरडे, दीपतो सूरज देव
जागीन पेला जोगडा, एने, हाथ जोड्या नी हेव
उगमणी दीसा ना ओरडे सुरज नारायण जेवो देव रोज दैदीप्य मान थाय छे, अने मने नीत्य जागी तेमने वंदन करी दोहो चडावी हाथ दोड्या नो हवे तो हेवा पड्यो छे,(हेवा=टेव, = जे करवुं न पडे पण अनायासे थई जाय ते, कर्ता पणा ना भाव थी रहीत)
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