. *|| मागुं हुंतो एटलुं मावा ||*
. *रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)*
. *ढाळ: सोनल मा आभ कपाळी*
देख्या दूनियाव ना दावा, वैभव ने धन नी वावा
गेबी तारा गूंणला गावा, मांगूं हूंतो ऐटलुं मावा...टेक
संत नो कायम संग तूं देजे, पूरण कथा मां प्रेम (०२)
निर अभिमानी मनडूं नाचे, नीत्य पूजा नुं नेम
अल्लख व्रत पाळीयें आवा, मागुं हुंतो ऐटलुं मावा, 01
कपट कोदी ना काळजे कोळे, गावुं हरी नां गान (०२)
भोम आखी ना जीव हुं भाळुं, सघळा एक समान
सुरतायुं सून्य समावा, मागुं हुंतो ऐटलुं मावा, 02
भोग वासायुं वेगळी भागे, मन देज्यो मजबूत (०२)
चरित चुकूं नई चडीयो चारण, एक रंगो अवधूत
चारे मूख वेद हो चावा, मागुं हुंतो ऐटलुं मावा, 03
भव आखो ना भूल थी भूलुं, कोयदी तूंने कान (०२)
शोक हरख ने ऐक सरीखा, जोवुं हुं जोगीदान
प्रिति रस भगती पावा, मागुं हुंतो ऐटलुं मावा, 04
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