.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

19 अगस्त 2016

सुर्य वंदना कवित

.       *|| सुर्य वंदना कवित ||*

संगीत मे सूर सात, सात है भुमिका ध्यान
सात रंग वारा धनूं ईन्द्र व्योम धारी है.
सात है समुद्र आसमान भी है देखो सात. 
सात है पाताल ग्रहां वार सात वारी है.
कीयें सात चक्र काया कोठा सात कुरु खेत
सप्त रुषी सोहे अरुं सिद्ध सात बारी है.
जागी नित प्रोढ जोगीदानजी जुहारे जाको
सोही सात स्वामी सात बाजी रथ स्वारी है.

संगीत मां सुर सात, ध्यान नी भुमिका सात,ईन्द्र धनु ना रंग सात
समुद्र सात, आसमान सात,सात पाताळ, ग्रहानुं सार वार पण सात
काया मां चक्रो सात, कोठा सात, सप्त ऋषी तारा मंडण ना रुषी सात
चोर्यासी सिद्धो पण ऐक महीना ना सात ऐम बार महीना नुं वर्ष ऐटले बार सत्तु चोर्यासी ..बार सात सिद्ध, अने जेने नित्य जागी ने कवि वंदन करे छे ऐ आ तमाम सात नो स्वामी भगवान सुर्य नारायण  जे रथ पर सवार छे तेना अश्वो पण सात छे...आंम सप्त स्वामी सुर्य नारायण ने मारां नित्य वंदन छे...

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT