जिंदगी तारा सफर ने थोडो विराम दऊं?
मन ना जंजावातो ने क्षणीक आराम दऊं?
ऊकणती लागणीओ थी हवे धडाय गयो छुं
छतां मणे जो ऐकांत खुदने थोडी हाम दऊं?
अमस्तुं लागणीसभर बेरोजगार रहे छे ह्रदय
शीखाडी ने गरज मतलबी थोडुं काम दऊं?
नशो लागणी नो दील थी ऊतरी रह्यो "देव"
तो लईने खाली जाम ऐने भरेलो जाम दऊं?
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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