गुंणीयल हनवा ना गूरु, वंदन वारम वार
जग नो पोषक जोगडा, सूरज सरजण हार
हे हनुमान ना गुंणीयल गुरु ,अथवा हे हनुमान जेवा गुंणयल ना गुरु भगवान सुरज नारायण सृष्टी नुं पोषण (प्रकास संस्लेसण वनस्पती,तेनाथी जीव ,तेनाथी मांसा हारी आम आखा चक्र नु मुळ सुर्य )करनार भगवान नारायण ए पोसण थीज आगळ नी सृस्टी चाले छे आंम सर्जन अने पोषण (ब्रह्मा अने विष्नुं) तो आप मांज देखाय छे तथा शंकर (अगीयार मो रुद्र हनुमान) तो आपना शीस्य बन्या छे तो हवे तमथी वडुं कोंण ? मारा आपने नित्य वंदन छे
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