रचयिता:राजकवि पिंगलशीभाई पाताभाई नरेला. भावनगर
दूहो
अमृत जरनी नैनमें , करनी जे जे कार ,
दुःख हरनी नीज भक्तको, सुख करनी संसार.
सवैया : सिंहावलोकन
करनी मुख कोटी दनं करनी , पुनी कोटी मयंकरनी करनी ,
करनी मुख भक्त दया करनी, वरनी करदत्त शंभुवरनी ,
वरनी जननी कवि योगयथा , धन आप पवित्र सदा धरनी ,
धरनी रसना शिव धयान सदा ,भव पार मंदाकिनी ते केरनी.
संकलन: अनिरुद्ध जे. नरेला.
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