प्रातः स्मरणीय प.पु.आई श्री हांसबाई मां (मोटा रतडिया मांडवी कच्छ)नो 89 मो जन्म महोत्सव वसंत पंचमी ता.01-02-2017 ना रोज उजवाशे ऐ निमिते प्रदीपदान रोहडीया नी ऐक रचना आपनी समक्ष मुकववानुं नानकडो प्रयास करेल छे.
आंखोमां अमीरस झरे, देख्ये टाढक थाय
ऐवी अमणी आई, भाळी रतडिये भली
ऐवी अमणी आई, भाळी रतडिये भली
बुढी पण बाळक समी, तुं देख्ये दु:खड़ा जाय
ऐवी मा छे जे हांसबाई, भाळी रतडिये भली
ऐवी मा छे जे हांसबाई, भाळी रतडिये भली
अभियान अंगे नहीं, समरण ऐक ज वात
पाडे ई जुदी भात, भाळी रतडिये भली
पाडे ई जुदी भात, भाळी रतडिये भली
भेख धर्या भजवा भवा, शिव शिव उरमांगवाय
सौमां तु सवाई, भाळी रतडिये भली
सौमां तु सवाई, भाळी रतडिये भली
श्वेत केश सर पर दीसे(जाणे) निर्मळ गंग जणाय
दीठे पातक जाय (ऐवी) भाळी रतडिये भली
दीठे पातक जाय (ऐवी) भाळी रतडिये भली
"प्रदीप" गुणला हुं कथुं उरमां लेजे आज
रखेय तुं तो लाज, ई भाळु रतडिये भली
रखेय तुं तो लाज, ई भाळु रतडिये भली
रचियता :- प्रदीपदान रोहडीया
टाईप बाय :- www.charanisahity.in
संदर्भ :- आई हांसबाई मा गुणगाथा पुस्तक मांथी
वसंत पंचमी सुधी रोज हांसबाई मांनी विविध कविओ रचेल रचनाओ आपनी समक्ष मुकवानो नानकडो प्रयास करीश.
आवतीकाले अनुदान गढवीनी रचना
वंदे सोनल मातरम्
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