||आल्हा गान रास ||
आल्हखण्ड ए मध्य प्रदेस बुंदेल खंड ना बनफल क्षत्रिय वीर आल्हा अने उदल नुं यसोगान छे,जेमणे पृथ्वीराज चौहाण ने हरावेल, माहोबा नी लडाई मां ज्यारे आल्हा ना हाथ मा सांग हती सामे पृथ्वीराज अने चंद वरदाई बेज जीवीत बचेल,त्यारे चंदे पृथ्वी राज ने हथीयार नीचा राखवा कहेल कारण के ते जाणता हता के आल्हा सस्त्र विहिन पर घा नही करे,उदल ना मोत थी ते घायल सिंह जेवो भुरांटो थयेल,अने निसस्त्र पृथ्वीराज ने जीवीत छोडी सांग नो घा कर्यो जे सांग आजे पण महीयर सारदा मंदीर ना आंगणा मा खुतेल छे, अने त्यारे बाद आल्हा तेना गुरु गोरख साथे संन्यास लई निकळी गयेल, ते नित्य क्रम प्रमांणे हजी आटली सदीयों पछी पण महीयर मां शारदा पुजा करवा आवे छे, ज्यारे मंदीर खुले त्यारे आल्हाये चडावेल ताजा फुलों मा ना चरणो मां मळे छे,माहोबा परमार राजा साथे रुसणां लई रडते रदये तेमणे वतन छोडेल,तथा कनौज जयचंद ना संनादी नायक थयेल, ज्यारे पृथ्वीराज नी फौज माहोबा पर आवी त्यारे राजा ने पोताना आ सामंतो सांभर्या जे आल्हाये पोतानी बार वरह नी उमरे पिता जसराज ना मारतल नुं माथु वघेरेल माटे तेमने मनावी लाववा कविराज ने मोकल्या, कवि जगनीके आवी ने आल्हा गान संभळाव्युं, अने बंन्ने युद्ध माटे आवेलां,
. *||आल्हा गान रास||*
. *ढाळ: चारणी रास*
. *रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)*
चडीया रे दळ आज जोने चहूवांण ना,
धिंगाणा ना कांई ध्रूबकी उठ्या ढोल रे, उदल ने आला,
वतन जोवे वीरवर तमारीय वाटडी.01
खंड बुंदेल ना वीर मरे नही खाटले
मरवुं जुद्धे मान एने अण मोल रे,
उदल ने आला,
वतन जोवे वीरवर तमारीय वाटडी.02
बार व्रहे मारेल वेरी तेंतो बापनो
मोत नो तांडव मचीयो तो माहोल रे
उदल ने आला,
वतन जोवे वीरवर तमारीय वाटडी.03
पेट वडा कर वात जाती परमार नी
केम भूले मां भोम ने कीधा कोल रे
उदल ने आला,
वतन जोवे वीरवर तमारीय वाटडी.04
फेर बनाफर होय ना बुंदेल बंकडा
तरवारु मां कोय ना तारी तोल रे
उदल ने आला,
वतन जोवे वीरवर तमारीय वाटडी.05
खपर खांडा खखडावती जोगण खेलती
जमाडो एने बूकडा लाल बंबोळ रे
उदल ने आला,
वतन जोवे वीरवर तमारीय वाटडी.06
जूग जातां पण जह रे जोगीदानीया
बोलसे चारण गीत मा तारा बोल रे
उदल ने आला,
वतन जोवे वीरवर तमारीय वाटडी.07
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