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11 जनवरी 2017

सुर्य वंदन सपाखरु - रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)

.               *सुर्य वंदन सपाखरु*
.    *रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)*

काळा वादळा हठाळा माळा,गाळा गरजाळा मळी, त्रांणीया बांधीया गोढ तीमीराळा तांण.
त्यांतो
आवीयो सादूळो सूर त्राटक्के अजा रे टोळ, ओळे घोळे कोळे बुक्का अंधकारा आंण.

भांगीया खेखट्ट जट्ट पट्ट अंधकारा जोगा, भळक्के डणंके भळेळाट उग्यो भांण.
जळक्के ढळक्के तेज तिमीराळा त्रागा त्रागा, वागा हथ लागा सातो कुदीया केकांण

चडीया न चुके पथ पडीया कीताक्क पाणां,
नांणा नत टांणा पूरो निकळे नवांण
जांण जोगीदांण भांण खरो म्रदायु री खांण
वांण वरदांण करां धरंतो क्रीपांण

भगवान सुर्य नारायण ने मारां नित्य वंदन छे
🌅🌞☀🙏🏼☀🌞🌅

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