रचना = किरणदान शंकरदान गढवी (वरसडा ) रामोदडी, हाल-नडीयाद,
🌺 वरसाद 🌺
वहालो लागे वरसाद, तारा करु केवा वखाण,
मुने वहालो लागे वरसाद...
जेठ गयो ने अषाढ आयो,
आंधी उठीयुं आठे पहोर...(र)
तिमिर ना तोखार छुटया,
मेधो थयो तैयार....
मुने वहालो लागे वरसाद...
अवनी पर असराण उमटया,
कटक काळा डीबांग..(र)
धरती ने धमरोळवा हालयो,
मेधो धणी सुवांग...
मुने वहालो लागे वरसाद...
पदमणी चाले झरमर झरमर,
वरसे चारेकोर...(र)
डुंगरा आजे डोलवा लागया,
नदीयु करे कलशोर...
मुने वहालो लागे वरसाद.....
मेउ, मेढक, चातक ,
जेनी राह जुवे चकोर....(र)
मुनी, चारण मलके आजे,
गहेंके रुडा मोर......
मुने वहालो लागे वरसाद...
वेलडीयुं वींटळाइ आजे,
वनरायुं माथे ओळधोळ...(र)
किरण कहे रुतु राणीऐ आजे,
सजया शणगार सोळ...
मुने वहालो लागे वरसाद....
मुने वहालो लागे वरसाद..
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