चारणो मानां चरणमां तमारुं सवॅस्व सोंपी दो. '' तारे तो पण तुं अने मारे तो पण तुं ज ''...!
देवतानुं रक्षण करती जगदंबा बाळकना दरेक कष्टोने निवारे छे, पण शरत ऐ छे के मांना शरणमां तमारुं सवॅँस्व सोंपी दो. '' तारे तो पण तुं अने मारे तो पण तुं ज ''
बस आ ज भावथी जो माने शरणे जवामां आवे तो मा अवश्य तारी दे छे. आ वात आपणे वांदरा अने बिलाडीना बच्चां द्वारा समजीऐ.
वांदरानुं बच्चुं मानी पीठ पाछळ वळगेलुं ज रहे छे. ते तेने चुस्त रीते पकडी राखे छे, तेथी मा तेना बच्चानी पकड पर विश्वास राखीने कुदका लगाव्या राखे छे पण बच्चानी पकड ढीली पडता कयारेक ते बच्चुं गबडी पण पडे छे.
ज्यारे बिलाडीनुं बच्चुं माने वळगीने नथी रहेतुं, पण तेने मा पर विश्वास होय छे. ते संपूणॅ रीते तेना पर अवलंबित होय छे.
त्यारे बिलाडी तेना बच्चाने मोंमां लईने ऐवी रीते पकडे छे के बच्चाने दांत वागता पण नथी अने ते पडतुं पण नथी. बस बच्चा पर मानो आ विश्वास ज तेने सुरक्षित राखे छे.
अहीं कहेवानुं तात्पयॅ ऐटलुं ज छे के तन, मन अने घनथी माने समॅपित थई जाव.
दु:ख, ददॅ, आघि, व्याघि बघु ज तेने सोंपी दो, पछी जुओ ऐ मा ज बाळकनी सहाय करवा अघीरी बनीने दोडी आवे छे के नहीं. जेम आई श्री सोनल चारणोनी वारे आवी हती.
तो चारणो अहंकारने ऐकबाजु मूकीने बाळक बनीने माना सानिघ्यमां जाओ तो तमे तेनी आशिषनुं सौभाग्य अवश्य पामी शकशो.
जय नव लाख लोबडीयाळी.
प्रस्तुति कवि चकमक.
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