बीजाने तारे ऐ तीथॅ...!
अभ्यागतने आशरो,
हरखे दीओ हंमेश !
घरम आश्रय घारजो,
'' आई सोनल '' आदेश !!
कोई अभ्यागत बावा-साघु मागवा आवे तेने पू. मा छबलुं भरी अनाज आपता. ( धउं ).
ज्यांथी छबलुं भरे त्यां खाडो पडे पोते कहेता के आ खाडो हमणा बुराई जशे. केम ? खबर छे ? जे उपरना दाणा छे ने ई हेठा उतरी नीचे आवी खाडो बुरी देशे.
पछी मूळ वातनुं तात्पयॅ समजावी कहेता के जे बीजाना खाडा बुरे तेवाने परमात्मा ऊंचे स्थाने बेसाडे छे.
ऊंचुं स्थान टकावी राखवा पण कोईने मददरुप बनो ऐवी भगवतीनी भलामण हती.
भगवतीनी कृपाथी आजे चारण समाजना धणा परिवारो विदेशमां छे. अहींया पण नगरो-महानगरोमां रहेता महानुभावो सुखी छे.
आपणी समृद्घी ज्यारे बीजानी स्मृति बने ऐ ज पू. आईमानी ईच्छा हती. अने ऐ ज चारणमां झंखतुं चारणत्वनुं दशॅन छे.
बीजाने तारे ऐ तीथॅ. चारण समाजमां आवा सुखी परिवारो जे समाजना हितमां पोतानुं योगदान आपे छे ऐ सुखी परिवारो तीथॅ कहेवाय.
जय माताजी.
प्रस्तुति कवि चकमक.
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