समाजनो विकास...!
जो आपणे आपणां समाजनो विकास साघवो होय तो आजनी वास्तविकतानो स्वीकार करीने लग्न पाछळ करवामां आवता बीनजरुरी खचाॅ अने उत्तरक्रिया-कारज भोजन पाछळ थता बेफाम खचाॅ बंघ करवां जोईऐ.
आपणा पोताना बनावेला खोटा वहेवारो वघारीने आपणे समाजमां देखादेखीथी करवामां आवता मोटा वराने कारणे समाज आथिॅक पछात रहयो छे.
आथिॅक पछात समाज कयारेय सामाजिक अने शैक्षणिक विकास करी शकतो नथी.
परम पू. आई श्री सोनलमांऐ पण आ माटे जबरी जेहाद जगावेल जे आपणे सौ जाणीऐ छीऐ.
मोटाभागना वहेवारो देखादेखीथी अने खोटा धमंडमांथी ज जन्मया छे.
दा. त. ऐक ज धरमां जुदा जुदा धरनी दिकरीयुं परणीने आवे छे तेमां बघाना मावतरनी स्थिति सारी नथी होती. बघी वहुओ ऐकसरखो करियावर नथी लावी शकवानी, त्यारे ओछो करियावर-दायजो लावनार साघारण धरनी दिकरीने तमारो दायजो शाप बनी जाय छे अने तेमांथी धरकंकास जन्मे छे.
खोटा खचाॅ न करता पैसानो सदुपयोग अापणां बाळकोना शिक्षण कायॅमां अने पोतानी स्थिति सुघारवामां तेमज आपणी ज्ञातिहितनां कायॅमां करी पोतानो अने समाजनो विकास साघीये तेम अत्यारनी स्थिति जोता जणाय छे.
समाजनो आथिॅक अने सामाजिक विकास करवामां सौ ज्ञातिबंघुओना सहकारनी जरुर छे अने आवा परिवतॅनशील विचारो ज आवती पेढी माटे आशीवाॅदरुप बनी रहेशे.
तो कवि चकमकनी विनंती के आवो आजथी ज आपणा सामाजिक उत्थाननां विचारने अमलमां मुकवा दढ निणॅय करीऐ.
जय माँ सोनल.
प्रस्तुति कवि चकमक.
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