चारणी जोगमाया भगवती आइ सोनबाइ माताजी नी अत्यंत जुनी वंदना जेना शब्दो कच्छी तथा गुजराती मां मिक्ष छे....
धन धन सोनल आई,आंजे पुरवे पूरव जी कमाई..,
देवी ! धन धन सोनल आइ.....
देवी ! धन धन सोनल आइ.....
सहाकाळ रुप धर्यो आई सोनल,मढडे में मोमाइ..,
चारण कुळ ने तारवा काजे,मढडे जनम्या आई..,
देवी ! धन धन सोनल आई...
चारण कुळ ने तारवा काजे,मढडे जनम्या आई..,
देवी ! धन धन सोनल आई...
सवंत ओगणीस वरस एंसी, एँसीए हूइ वधाइ....
पिता हमीर ने माताजी राणबाइ,आइ तारा हेते हालर गाइ,
देवी ! धन धन सोनल आइ....
पिता हमीर ने माताजी राणबाइ,आइ तारा हेते हालर गाइ,
देवी ! धन धन सोनल आइ....
सवंत वीसों ने दसमी साल,
आइ दशइं देवी कहेवाइ..,
वैशाख सुद तृतीया ना दिवसे,माडी अकळ कला दर्शाइ..,
देवी ! धन धन सोनल आइ....
आइ दशइं देवी कहेवाइ..,
वैशाख सुद तृतीया ना दिवसे,माडी अकळ कला दर्शाइ..,
देवी ! धन धन सोनल आइ....
चार उपदेश आइ चारणो ने आप्या,सत्य विषे समजाइ..,
कन्या विक्र ने भिक्षा व्रुति,दिधा दारु मांस छोडाई..,
देवी ! धन धन सोनल आई....
कन्या विक्र ने भिक्षा व्रुति,दिधा दारु मांस छोडाई..,
देवी ! धन धन सोनल आई....
गुणला तारा चारणो गावे,तारे शरणे शिश जुकाइ..,
महेर करोने माडी हमपर, आई तारा "राणसी" जस गाइ..,
देवी ! धन धन सोनल आई...
महेर करोने माडी हमपर, आई तारा "राणसी" जस गाइ..,
देवी ! धन धन सोनल आई...
*रचना -- राणसी गढवी*
*टाइपिंग -- राम बी गढवी*
*नवीनाळ- कच्छ*
*नवीनाळ- कच्छ*
*फोन न. 7383523606*
*वंदे सोनल मातरमं*
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