(महाराणा प्रताप ना युध्ध नो वरणन)
(नाराण एम गढवी)
दोहो
मुगल को मुसक कीयो एकला हाथे आप..
वीरता तोडी वारीयो भणे तुने रंग हो राण प्रताप..
(छंद हरीगीत)
मलक माथे मुगला तणो
जबर जोर जाम्यो हतो..
अकेकार करतो अकबर
ओलो हीन्द मा फाव्यो हतो..
हामे मेरु बनी महाराण
उभो रजपुताना रंग मा...
मेवाड नो मोवडी आज
राणो रमे रण जंग मा...
चेतक नो चडनार राणो
हीन्द नो नर नाहर हतो..
मेल मोला मुकी भले
भटक तो बाहर हतो..
तोय नम्यो नोतो नर कोइने
मड्यो न मुगल ना संग मा...
मेवाड नो मोवडी आज
राणो रमे रण जंग मा...जी
तलवार लइ त्राड दइ
तुरंग असवार थइ ने त्राटके..
धु उतारे धड थी दुसम
तणा जंग मा जाटके..
जाणे भोडा नो गंण
आव्यो आज एना अंग मा...
मेवाड नो मोवडी आज
राणो रमे रण जंग मा...जी
रज रज रग्दे रंगायो मीट
मुगला तणो गीध खायो..
आवो गमसाण तेदी रण
मा नर रजपुत रचायो..
नदीयो वही लोही नी तेदी
हलदी भडी लाल रंग मा...
मेवाड नो मोवडी आज
राणो रमे रण जंग मा...जी
कहे नारण चारण राणा
एक वीनती स्वीकार जे..
पडे काड कफरो हींद माथे
तेदीफरी एकवार आवजे..
पाप त्रास नो नास करवा
वरी रहेजे रजपुताना रंग मा...
मेवाड नो मोवडी आज
राणो रमे रण जंग मा...जी
(नाराण एम गढवी सीधोडी)
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