कवि श्री आपाभाई काळाभाई बळदा " कवि आप " ने शब्दाजंलि
।। दोहा ।।
कैक वध्या काळा तणा, मा जमणी केरा जाप,
तेरे चारण बळदा शाख में,आ अवतर्यो कवि आप . 1
कैक वध्या काळा तणा, मा जमणी केरा जाप,
तेरे चारण बळदा शाख में,आ अवतर्यो कवि आप . 1
लखनारा लखे गिया,घणा छापु वाळाय छाप,
पण ऐमे तोळी आगवी, ओळख हूती कवि आप. 2
पण ऐमे तोळी आगवी, ओळख हूती कवि आप. 2
कविता ऐवी करि गियो,जेमे महेके पिंगल माप,
पारसमणि सम "प्रवीण" के,ओळख तौ कवि आप . 3
पारसमणि सम "प्रवीण" के,ओळख तौ कवि आप . 3
गोधणशी पुर्वज गुणी, जेनी प्रबळ कलम प्रताप,
इज कुळ ई शाख में, अमाणो अवतर्यो कवि आप .4
इज कुळ ई शाख में, अमाणो अवतर्यो कवि आप .4
परा उपासक परम् कलम,जेनी रचना ज खुद छे जाप,
ताप हरी ल्ये तन तणो,एवो अमियल कविवर आप . 5
ताप हरी ल्ये तन तणो,एवो अमियल कविवर आप . 5
आनंद दधी में उछळे ,ई मौजाना नो होय माप,
पण दिल मे शीतळता दीये,तोळी अमि वाणी कवि आप .6
पण दिल मे शीतळता दीये,तोळी अमि वाणी कवि आप .6
तोळी वाणी ना तौर थी,मन मोर टहूंक्यो मौर,
आप कवि शु आपवी, तूने अंजळी मारे और .7
आप कवि शु आपवी, तूने अंजळी मारे और .7
।। छंद हरिगीत ।।
गीतों तणी जेनी गहनता, समजवी स्हेली नथी,
पिंगल तणी वाणी प्रशन ने ,हूती भेरे विसहथी,
सौ ढाळ भाळी धोड़ता, तू धोडियो नई ढाळ मा,
कीरति करि गई चाँदलो,कवि आप केरा भाल मा,
कवि आप केरा भाल मा ,,,टेक 1
पिंगल तणी वाणी प्रशन ने ,हूती भेरे विसहथी,
सौ ढाळ भाळी धोड़ता, तू धोडियो नई ढाळ मा,
कीरति करि गई चाँदलो,कवि आप केरा भाल मा,
कवि आप केरा भाल मा ,,,टेक 1
रमझट छन्दों तणी सुणी ने,रमे नवलख राहड़े,
गरबो शिरे गिरी ज्या लीधो,चड़ती धरा त्या चाकडे,
भमती हूती भेळीयाळीयूं, तेदी तान दइ ने ताल मा,
कीरति करि गई चाँदलो,कवि आप केरा भाल मा,
कवि आप केरा भाल मा,,2
गरबो शिरे गिरी ज्या लीधो,चड़ती धरा त्या चाकडे,
भमती हूती भेळीयाळीयूं, तेदी तान दइ ने ताल मा,
कीरति करि गई चाँदलो,कवि आप केरा भाल मा,
कवि आप केरा भाल मा,,2
आभा जेना छंदनी अहि,मळवी बहु मुसकेल छे,
चारणत्वना संस्कार जेना,शबद माही छुपेल छे,
धुपेल जेवी धमकता, जेने खमीरता छे ख्याल मा,
कीरति करि गई चाँदलो,कवि आप केरा भाल मा,
कवि आप केरा भाल मा,,3
चारणत्वना संस्कार जेना,शबद माही छुपेल छे,
धुपेल जेवी धमकता, जेने खमीरता छे ख्याल मा,
कीरति करि गई चाँदलो,कवि आप केरा भाल मा,
कवि आप केरा भाल मा,,3
मा, कने कवि आप नी,मागणी मा भर्यू मरम छे,
विख विघन चारण तणाय वारण,कविता शुभ करम छे,
सु शब्द उपासक सकत जायो, कलम दीठी न काल मा,
कीरति करि गई चाँदलो,कवि आप केरा भाल मा,
कवि आप केरा भाल मा,,4
विख विघन चारण तणाय वारण,कविता शुभ करम छे,
सु शब्द उपासक सकत जायो, कलम दीठी न काल मा,
कीरति करि गई चाँदलो,कवि आप केरा भाल मा,
कवि आप केरा भाल मा,,4
मधुडो " प्रवीण "के छंद मढ़ी,ई नवल कोहिनूर छे,
ना थिओ कविवर थसे ऐवो, जे मलक में मशहूर छे,
कवि आप वेधु ने वधू, अर्पू शु अंजळी व्हाल मा,
कीरति करि गई चाँदलो,कवि आप केरा भाल मा,
कवि आप केरा भाल मा,,5
ना थिओ कविवर थसे ऐवो, जे मलक में मशहूर छे,
कवि आप वेधु ने वधू, अर्पू शु अंजळी व्हाल मा,
कीरति करि गई चाँदलो,कवि आप केरा भाल मा,
कवि आप केरा भाल मा,,5
रचना 21-6-2010 बपोरे 2:30 मेघदूत फाउंड्री राजकोट
मारे घरे 23- 6 -2010 ने श्री पुरुषोत्तम रुपाला साहेब आवेला
मारे घरे 23- 6 -2010 ने श्री पुरुषोत्तम रुपाला साहेब आवेला
कर्ता चारण कवि प्रवीणभा हरूभा मधुडा
वॉट्सऐप मो 97239 38056
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वंदे सोनल मातरम
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