कविश्री दादुदानजीअे हेमु गढवी नी रचेल एक रचना
( छंद सारसी )
चडशे घटा घनघोर गगने मेघ जळ वरसावशे ,
नील वरणी ओढणी ज्यां धरा सर पर धारशे ,
गहेकाट खातां गिर मोरां पियु धन पोकारशे ,
एे वखत आ गुजरातने पछी याद हेमुं आवशे , ||1||
चडशे गगनमां चांदलो ने रात नवरात्युं हशे ,
संध्या मळीने साथीडा जे"दी रासडे रमता हशे ,
तेदी" रमण राधा काननां कोई गीतडां ललकारशे ,
एे वखत आ गुजरातने पछी याद हेमुं आवशे , ||2||
तु:खी पियरनी दिकरी कोई देश देशावर हशे ,
संतापना सासरवासना अे जीवनभर सहेती हशे ,
वहअे वगोव्यानी रेकर्डु ज्या रेडियो पर वागशे ,
एे वखत आ गुजरातने पछी याद हेमुं आवशे , ||3||
मोंघामुली "सौराष्ट्रनी रसधार" जे रचतो गयो ,
ए कलमनी वाचा बनी तुं गीतडां गातो गयो ,
अे लोकढाळो परजना कोई "दाद" कंठे धारशे ,
एे वखत आ गुजरातने पछी याद हेमुं आवशे , ||4||
( दुहा )
कंठ गयो के"णी गई , गई , मरदानगीनी वात ,
हद थई के हेमुं गयो , गरीब थयुं गुजरात ,
संगीतमां सोंपो पड्यो , गमे सुणवुं गाम ;
तुं मरतां मिजलस गई , दिलनी हेमुदान ,
( भूल होयतो सुधारीने वांचवु )
:- रचयता कविश्री दादुदान प्रतापदान गढवी ,
:- टाईप मनुदान गढवी
. 🙏 वंदे सोनल मातरम् 🙏
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