.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

19 अगस्त 2017

|| सुर्यमल मिशण प्रशस्ति || कवि धार्मिक गढवी

*|| सुर्यमल मिशण प्रशस्ति ||*
*(छंद:- दोहरा)*
वर्यो भोग विलास, के वर्यो वैराग पर
प्रत्युत्तर नहि पास, भ्रमित सर्व गण भाणमल
बुंदी राज बरंग, अंग विशेष शरीर वत
धर्म अधर्म सुढंग, आलेखन द्ये अर्कमल
हाडा पासे हैक, हैक छताय हजार सम
हारे जाय हरेक, शास्त्रविदो कवि सुर्यमल
मदिरा गणिका मित्र, चोट अपार चरित्र पर
तर्क जगत पर तित्र, उड देखाड्यो अर्कमल
*(छंद छप्पय)*
नमन सुर्यमल नाम, माम चारण गण मध्ये
कवि तम कर्म अजोड, तोड पायो नहि पद्ये
काव्य अषाढी कंद, छंद नहि लेश छटक्के
मूर्धस्थान अति मार, शब्द पळ फळे पटक्के
फल आम नही पण आम धर, काल सुखो कविरो कडौ
तद् मेह रती काव्ये बरस ,ब्रख हाडौती पर बडौ
-कवि धार्मिक गढवी

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

वाह वाह धार्मिक भा नमन छे तमारी लेखनी ने अने नमन छै षटभाषी कवि सूर्यमल्ल मीसण ने।

Sponsored Ads

ADVT

ADVT