छंद = सवैयो
पींड ब्रह्मांड मे ऐक समायो
पींड ब्रह्मांड मे ऐक समायो
रुण विहाणोय राखत हो प्रभु यो करुणाकर आप कहायो.
कहायो सदा सुख धाम महालय नाम निरजंण नाथ सुहायो.
सुहायो हरी शुभ भाव मनोहर दाखत दैवत देव चवायो.
चवायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक समायो.
कहायो सदा सुख धाम महालय नाम निरजंण नाथ सुहायो.
सुहायो हरी शुभ भाव मनोहर दाखत दैवत देव चवायो.
चवायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक समायो.
समायो अणु रुप खंड न खंडन मंडन पाट अखंड बिछायो.
बिछायो अविरल खेल महाभड आवत ना जिण अंत पठायो.
पठायो महा भूतभावन मोहन आवन जावन भ्रम भळायो.
भळायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक जणायो.
बिछायो अविरल खेल महाभड आवत ना जिण अंत पठायो.
पठायो महा भूतभावन मोहन आवन जावन भ्रम भळायो.
भळायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक जणायो.
जणायो महा तत् आप अगोचर जो सचराचर खेल रचायो.
रचायो अति मन मोद विनोद मे ऐह पटतंर आप जमायो.
जमायो बडो जिव जंगम खोयण चाक धुरी बन नाथ चलायो.
चलायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक लखायो.
रचायो अति मन मोद विनोद मे ऐह पटतंर आप जमायो.
जमायो बडो जिव जंगम खोयण चाक धुरी बन नाथ चलायो.
चलायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक लखायो.
लखायो सभी गुणखाण अमोलख हद निहद बेहद बसायो.
बसायो जहाँ शून्य ऐक हुते प्रभु आप तहाँ अहो अंक बिठायो.
बिठायो गनित अजित अनंत मे लेखित हाथ हिसाब मिलायो.
मिलायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक पुरायो.
बसायो जहाँ शून्य ऐक हुते प्रभु आप तहाँ अहो अंक बिठायो.
बिठायो गनित अजित अनंत मे लेखित हाथ हिसाब मिलायो.
मिलायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक पुरायो.
पुरायो बहु जब प्रेम प्रकाशीत और उमंग सुयंग उजायो.
उजायो उछव निछावर प्राण उजागर आप जीवन पुजायो.
पुजायो सदा तुम सत्य सुधामय मृत्यु महाधन खेप खपायो.
खपायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक दिखायो.
उजायो उछव निछावर प्राण उजागर आप जीवन पुजायो.
पुजायो सदा तुम सत्य सुधामय मृत्यु महाधन खेप खपायो.
खपायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक दिखायो.
दिखायो नही तुम द्रंद्व कबु अरु छंद स्वछंद अणंद बहायो.
बहायो अति गूढ व्यूढ महाबळ चेतण वाहणविंद गणायो.
गणायो सबे काल खावण जोगण आप वडामुख मोल भणायो.
भणायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक सुणायो.
बहायो अति गूढ व्यूढ महाबळ चेतण वाहणविंद गणायो.
गणायो सबे काल खावण जोगण आप वडामुख मोल भणायो.
भणायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक सुणायो.
सुणायो अनाहत ओहंम अखर ब्रह्म कुटीर मे ध्यान लगायो.
लगायो पीछे सूर सोहंम साहेब ग्यान त्रिकृट को आप तपायो.
तपायो निजानंद कंद आणंदह सुंदर मंगल रूप सवायो.
सवायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक करायो.
लगायो पीछे सूर सोहंम साहेब ग्यान त्रिकृट को आप तपायो.
तपायो निजानंद कंद आणंदह सुंदर मंगल रूप सवायो.
सवायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक करायो.
करायो तुंही बहुधा सब घाट मे आप अघाट वैराट वसायो.
वसायो अनेक मे ऐक लीलाधर मोहक मोहन आप मनायो.
मनायो कथा कविता कर केशव विज कहे प्रभु ज्योत जगायो.
जगायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक वचायो.
वसायो अनेक मे ऐक लीलाधर मोहक मोहन आप मनायो.
मनायो कथा कविता कर केशव विज कहे प्रभु ज्योत जगायो.
जगायो तुंही ब्रह्म वेद पुरान मे पींड ब्रह्मांड मे ऐक वचायो.
स्तुती रचनाकार = चारण विजयभा हरदासभा बाटी (कवि विज)
बावळी(ध्रांगध्रां) मो.9726364949
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