. *कर्ण नी वेदना*
. *रचना: जोगीदान चडीया*
कुंता आवुं सिखव्युं कूने...माडी केम त्याजीयो मुंने ...टेक
खुब हेते थी खोलतो ज्यां हुं, मां केहवा ने मूख
त्यागीयो जांणींन तुटतुं हैयुं, दोयलुं थातुं दूख
आंख्युं नाय आंहुडे उने, माडी केम त्याजीयो मुंने 01
नीर व्हेता मां नाखतां मुंने, हैयु हाल्युं केम हें..
जरुर हती मारे जननी तारी,तोय, तरतो मेल्यो तें
केने तें भरोंहे कुने, माडी तेदी त्याजीयो मूने..02
हुतो एवो शुं बोल हेताळी, व्हालसोई मुज वांक
बोलवा ना मुंने होंश नोता बा, मारी, उघडी नोती आंख
तोये हवे शुं कहुं तूने, माडी केम त्याजीयो मुंने 03
आखरी टांणे तुं आंगणे आवी, मोत देवा सीद मात
जोखमाशे जोगीदान जनेता, वांचशे जो कोई वात
गती कीध आम शुं गूने, माडी केम त्याजीयो मुंने.04
रचना: जोगीदान गढवी (चडीया) 9898 360 102
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें