ॐ शांति....
*छंद छटा ने सपाखरां, हुती सादुळी हेव*
*जिव ने घ्रहको जोगडा, जातां तुं जयदेव*
हे जयदेव छंद अने छपाखरां नी छटा अजोड हुती तमणां कंठ मां..ए कंठ अने केहणी नो कसब आज फानी दुनिया त्यजी जतां जीव ने ध्रहको पड्यो छे...भगवान ए चेतना ने चिर शांति आपे...
*ॐ शांती...*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें