.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

19 दिसंबर 2017

|| रचना: आई सोनल वंदना || || कर्ता:मितेशदान गढवी(सिंहढाय्च) ||

*रूडा एवा सोनल बीज ना आ पावन अवसर पर सोनल मा ने वंदन सह आरदा*

*जय सोनल*

*|| रचना:सोनल वंदना ||*
*|| छंद : नाराच ||*
*||कर्ता: मितेशदान महेशदान गढवी(सिंहढाय्च) ||*

*दोहो*
*जगख्याता तू जोगणी,मढ़डे सोनल मात,*
*मीत नमु तूज मंगला,(तूने)नमें सरव जग नात*

*छंद: नाराच*

बिराज मढ़ में निद्रढ़   मात    ब्रह्मचारणी,
चडी स्वराज जंग शक्त रूप दैव   चारणी,
धरम त्रीपाळ चारणाय एक  टेक  धारणी,
नमोस्तु सोनलं जगे तुही  दुड़भ दारणी(१)

अपार  अंतरे दया  मया  विदुह    आपनी,
सुधार सर्व को सदाय  साच राह   कापनी,
अजाण बुद्ध को सुजाण सुद्ध ज्ञानसारणी,
नमोस्तु सोनलं जगे तुही  दुड़भ दारणी(2)
(विदुः-ज्ञान)

प्रमेश्वरी तू वट्ट  सत्ते  वाट   घाट   पाड़ती,
अगाढ  कुळ   तट्ट मूळ काट के उखाड़ती,
प्रगट्ट सोरठे  प्रमाण   जागती  जया  बणी,
नमोस्तु सोनलं जगे तुही  दुड़भ दारणी(3)

वृखा विद्वंत ध्यान वंत,आदि अंत  ईश्वरी,
मने सु ध्याव नाद शक्ति साद है   महेश्वरी,
वीसाभुजाल व्हाल तुज बालमथ्थ वारणी,
नमोस्तु सोनलं जगे तुही  दुड़भ दारणी(4)

एकावना आदेश आप छाप सिद्ध अर्पिता,
दिए अनेक बोध पाठ व्याप  देश   दर्शिता,
भमित भारतीय भोम  डाट  कष्ट  भारणी,
नमोस्तु सोनलं जगे तुही  दुड़भ दारणी(5)

अखंड नात साथ चारणात स्वपन आपियु,
जगन्नज्योत चित ध्यान आधशक्तिजापियु,
पुजाय बीज प्रेमथी  प्रवीण   हर्ष  पारणी,
नमोस्तु सोनलं जगे तुही  दुड़भ दारणी(6)

विहार तू उगार  पाप होय   आज   वैखरा,
सुखाज *मीत* आरदा दु  नाद   हित शैख़रा,
विश्वम्भरी वखत्ते कष्ट काळ कु  विदारणी,
नमोस्तु सोनलं जगे तुही  दुड़भ दारणी(7)

*🙏~~~मितेशदान(सिंहढाय्च)~~~🙏*

*कवि मीत*

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT