आ तो भर उनाडो छे अने आ सूर्यजी ना तेज नों पार नथी,तो आपडी आवि हालत छे तो बिचारा मुक जीव नी शु हालत हसे,!?
तो अत्यारे ए बाबते विचार करता शब्दो ने दोहा रूपी निरूपण आप्यू
धन्यवाद
🙏
*|| तरवराट्यो ताप ||*
*||कर्ता: मितेशदान महेशदान गढवी(सिंहढ़ाय्च) ||*
*तरस्यू लु ए तनडु,ठंडक नों नै थाप,*
*मीत तणा आ मलकमा,तरवराटयो ताप*
*ए,सी पंखे ओथमा,बेसे धनिकों बाप,*
*मीत तणांआ मलकमा,तरवराटयो ताप,*
*गरीब पशुडा गाममा,भाभरता थर भाप*
*मीत तणा आ मलकमा,(केवो)तरवराटयो ताप*
*रहेम जीव नई रेतु,सुरज दियों शु श्राप,?*
*मांड्यो जगमे मितराज,(का)तरवाराटयो आ ताप*
*पादर लीमड़े पौढता,जपे निंद्राय जाप*
*मीत तणा आ मलकमा,तरवराटयो ताप*
*तरह्या खगला तरफड़े,पाणी ने माथे पाप*
*मेले जगमे मितराज,(केवो)तरवराट्यो ताप*
*🙏---मितेशदान(सिंहढ़ाय्च)---🙏*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें