*रचना: सु प्रभात वर्णन*
*छंद प्रिया*
*कर्ता: मितेशदान गढवी(सिंहढ़ाय्च)*
वसुधे वसु धे जग दा जगते,
जगते सरुते सरला सुर ते,
सूरते परोणा,वलोणा घम्मरे,
घम्मरे दधिया पयणा वमळे,
वमळे फूलडा तृणले भींजवे,
भींजवे जलको धरको रिंझवे,
रिंझवे रमता पशुडा खगला,
खगला पंखको झटके वलखै,
वलखै रुतवा मितवा मिलके,
मिलके चलता नभमे बलखे,
बलखे रूप सु रूप सुंदरता,
करता सुर नाद धरे फरता,
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मीत*
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