*मारा प्रीय तहेवार रक्षाबंधन पर बहेनो माटे थोडी पंक्तिओ...*
आज जीवन ने नवो आधार दइ गइ
बेन राखडी तारी आशिर्वाद दइ गइ
भरेल छे हेतथी विरा माटे थाळी,
आंखडी हरखाय तारी विर ने भाडी
भर्या अतुट प्रेमनी संभाळ ने लइ
बेन राखडी तारी आशिर्वाद दइ गइ
हरखे बेसाड्यो ते विराने पासमा,
प्रीत थी धरेल छे पकवान पासमा,
ललाटे कंकु चोखा नो वर्साद करी गइ
बेन राखडी तारी आशिर्वाद दइ गइ
हरखथी हाथमां बांधी ते राखडी,
हर्खे भींजाइ हसे हरी नी आंखडी,
तारा ओवारणे जगत नो ताप लइ गइ
बेन राखडी तारी आशिर्वाद दइ गइ
नयने निहाळुं तारी निस्वार्थ भावना,
'खमां मारा विर' अतुल तारी आरधना
तारा हेतमा आ जींदगी कर्बान थइ गइ
बेन राखडी तारीआशिर्वाद दइ गइ
बोल्या वगर तारो स्नेह समजातो
त्राजवे न कोइ ना कदीये ताेळातो,
'राम' परमेश्वर तारो दास थइ जइ
बेन राखडी तारी आशिर्वाद दइ गइ
*रचना=राम बी गढवी
*नविनाळ कच्छ*
*फोन नं. --- 7383523606*
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