*|🌞| सूर्यवंदना छप्पय |🌞|*
*|| कर्ता मितेशदान महेशदान सिंहढाय्च ||*
*(ता: 11:06:2019 थी 20:06:2019)*
*(11-06-2019)*
*बिरद बनी ब्रह्मांड,एक अखिलेश्वर आपे,*
*बिरद बनी ब्रह्मांड,कैक कटी कहरसु कापे,*
*बिरद बनी ब्रह्मांड,ज्योत उजळी झळकावे*
*बिरद बनी ब्रह्मांड,खलक भय ने खळकावे*
*अप्रम अजेय अवलोक अमर,तुह त्रिभुवन गणनो तात*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,पुन पवितर दिय मित प्रात*
*(12-06-2019)*
*विध विध कर वरताय,साय निध निध सुर समणा,*
*विध विध कर वरताय,भुवन भव हर सिध भमणा*
*विध विध कर वरताय,आ धरा टाळत आफत,*
*विध विध कर वरताय,ग्रजत वादळ मद गिरि गत,*
*अभिमान भले नभ आवरे,साचो सूरजण सम्राट*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,घटनाकर मित हर घाट*
*(13-06-2019)*
*झट्ट खळळ खट झबक,ठुमक जर झर वा ठणके,*
*गळळ आभ पट गमक,झुमक समदर जल झणके,*
*हमम नाद हिल्लोळ,तप्यो अगियार तट पर,*
*छमम वाय झमरोळ,धुणे ग्रज छाटे धर हर,*
*पल नभ चढे भेकार पवन,निरखत जल प्रबल निषेध*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,वारण बन मित सुर वैध*
*(14-06-2019)*
*कळ्यो आभ किरतार,फलक फोरम फरकावी,*
*कळ्यो आभ किरतार,ठेलियों समदर ठारी,*
*कळ्यो आभ किरतार,कस्यु वाताव्रण कांडू,*
*कळ्यो आभ किरतार,खेलियो धर नभ खांडू,*
*कज पुण्य अमो परताप कुणा,तार्या बन नाविक ताप,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,परते मित ठार्या पाप*
*(15-06-2019)*
*ध्यान तिहारा धर्म,कर्म पर काज करावे,*
*ध्यान तिहारा धर्म,मर्म मन महि मरमावे,*
*ध्यान तिहारा धर्म,खेल रचियों खेलणको,*
*ध्यान तिहारा धर्म,मित सूर जीवन मणको,*
*चालत चितार मन ध्रम चले,पथ रही सुरज पंकाय,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,अजरामर जे अंकाय,*
*(16-06-2019)*
*खमा खलकना नाथ,समा सरताज सृस्टिना,*
*खमा खलकना नाथ,परख तुज पाव पृस्टिना,*
*खमा खलकना नाथ,वदु शु ? वात वखाणु !,*
*खमा खलकना नाथ,जीवण उर तेज कु जाणु*
*परब्रह्म पिरसणु प्रीतपणु,तू जाळव जग नी जाण*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,भभकी मित नभ पर भाण*
*(17-06-2019)*
*परिकम्मा पुर प्राण,भरण जल धर भात्यु भर,*
*परिकम्मा पुर प्राण,विश्व कल्याण निसर वर,*
*परिकम्मा पुर प्राण,तख्त तिमिरा पद तोड़ी,*
*परिकम्मा पुर प्राण,मिश्र अवकाश मरोड़ी,*
*अवनंत मित जे आपसु,जवलंत जगत पर ज्योत,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,मुलवंत गुणा धर मोत*
*(18-06-2019)*
*जरण भर्यो जमराण,भरण पोषण कर भाणा,*
*जरण भर्यो जमराण,दरण भव कुड कुट दाणा,*
*जरण भर्यो जमराण,व्रहावो विरल विशाला,*
*जरण भर्यो जमराण,नित्य धर्मेश निराला,*
*नाथ कहु के आथ निमितपट,जर दुडियंडा धर जाण*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,भरख्यो तप दल मित भाण*
*(19-06-2019)*
*दुनिया दाखे देव,चंद्र पर तेज चकोरु,*
*दुनिया दाखे देव,सृस्टिपद नजर समोरु,*
*दुनिया दाखे देव,वीरल विश्वास विधाता*
*दुनिया दाखे देव,भवन तप भरखो भ्रांता,*
*निर्मळ जळ दै नारायणा,तुज किरण तणा लै काम*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,नित जपता सुरमित नाम*
*(20-06-2019)*
*महर चक्र मुलभाग,प्रथम जळ नभ परखावे*
*द्वितिय वमळ वा दाब,लिए तृतीया नभ लावे*
*वश कर भर वंटोळ,किरण खेची किरतारी,*
*मया करण सुर मोर,और वरसाद उतारी*
*ग्रहपत अम भारण ग्रहीयतु,अरु अषाढ़ लावत आम*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,हैया मित भरण सु हाम*
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मित*
9558336512
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