*|| रचना : रौद्रहनुरूप वर्णन ||*
*|| छंद : पद्धरी ||*
*|| कर्ता : मितेशदान महेशदान सिंहढाय्च ||*
*जय कपि कराल वा नंद जोर,कपि सुमन चंद छवी बल किशोर,*
*लिख विद्व लेख प्रभु लै ललाट,अळ प्रगट अंजनी उर उकाट (1)*
*मुख मुरत केश रूप कुंजमाल,भभकेय तेज रूप तिलक भाल*
*बल कांध जोर कांडा बरोड़,कळ युद्ध दैत्यपर मरण क्रोड (2)*
*दधि लांध धरण दटी मचक दोट,कटी कमर कस्स हनु चढ़त कोट*
*लंका हलंत हचमच लटार,कळळळ कटेय दल कस कटार(3)*
*धस दिग्ज पटक तरु धर धसेत,होकार हास्य हडमत हसेत*
*धक धळ धृबांग धम धनुरधार,थरथरत दैत्य उत पड़त ठार(4)*
*गळगळळ मेघ वसु नभ ग्रज्योय,सर विकट रौद्र उछरण स्रज्योय,*
*कट कळळ दंत भड़ लियो काल,धमरोळ दैत करियो धमाल(5)*
*लळखड्यो राज पद डग्यो लंक,डणक्योय रुद्र गढ़ लंक डंक,*
*भृकुटि मरोड़ भड़क्यो भवान,हठपे अळ्यो ज रूप हनुमान,(6)*
*नरलोक लंक हनु द्रशत नाथ,उण तज्यो दैत्य रघु वेर आथ*
*वध करण रावणा चढ़यो वीर,अदभुत भवन राजत अ धीर,(7)*
*मन नाथ स्वामी तव चरण मित,चित राम नाम गुण चिरंजीत*
*पदधरी चरण तुव ध्यान प्रति,ह्रदनाद आप हनुमान जति,(8)*
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मित*
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