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3 फ़रवरी 2024

मां करणी सोनल कि परम पूज्य आराध्य देवी आवड मां (चाळकनेची) की जन्मस्थली चाळकना धाम में होगा अगामी 21 फरवरी 2024 को ऐतिहासिक अखिल भारतीय चारण गढ़वी शक्ति संचय मय मातृशक्ति महासम्मेलन एंव सम्मान समारोह

*मां करणी सोनल कि परम पूज्य आराध्य देवी आवड मां (चाळकनेची) की जन्मस्थली चाळकना धाम में होगा अगामी 21 फरवरी 2024 को ऐतिहासिक अखिल भारतीय चारण गढ़वी शक्ति संचय मय मातृशक्ति महासम्मेलन एंव सम्मान समारोह* ‌

राजस्थान राज्य के बाड़मेर जिले के सेड़वा उपखंड, सेड़वा से 45 किलोमीटर एवं सांचोर से 50 किलोमीटर दूर चालकना गांव में श्री चालकनेचीं माताजी का पौराणिक भव्य मंदिर है श्री चालकनेचीं आवड़ माता का ही स्वरुप है आवड मां के बावन  धाम हैं जिसमें में तेमडाराय, तनोटराय के साथ चालकनेचीं भी इसी का स्वरूप है, आवड जी को हिंगलाज माता का अवतार माना जाता है यह चारणों की कुलदेवी है यहां पर आवड़ माता ने चालका नामक राक्षस का वध करने की वजह से इन्हें यहां चालकनेचीं जी के नाम से पूजते  हैं इसी कारण इस गांव का नाम भी चालकना पड़ा है। कई साहित्यकारों ने आवड़ जी का जन्म स्थान भी चालकना को बताया गया हैं। इस मंदिर पर भादवा एवम माघ महीने की शुक्लपक्ष की चौवदस को मेला लगता हैं जिसमें आस पास के लोगो के साथ पूरे राजस्थान और गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र से श्रद्धालु आते हैं। यह मंदिर बहुत प्राचीन होने के प्रमाण भी मिले हैं। मंदिर के पास स्थित टीले की खुदाई के दौरान मंदिर के कई खंडित अवशेष भी मिले हैं जो संगमरमर के पत्थरो पर कई देवी-देवताओं  की आकृतियां बनी हुई हैं जिससे प्रतीत होता है कि यहां पौराणिक भव्य मंदिर था। जो विदेशी आक्रांताओ के द्वारा ध्वस्त कर दिया था। मंदिर के पास ही सात पौराणिक बावड़ीयों (कुईंयो) बनी हुई थी जिसमें से एक वर्तमान में मौजूद है। उसके पास एक शिला (पत्थर) है, माना जाता है कि चालका नामक राक्षस का वध कर, उसे इसी स्थान पर गाड़ दिया गया था तथा उसके ऊपर एक शिला रख दी गई थी। चालकना से तीन किलोमीटर दूर मनरंगथल धोरा है जहां आज भी सैकड़ों बीघा गोचर भूमि है, बताया जाता है कि मनरंगथल में आवड जी ने 155 वर्ष तक निवास किया और गाय चराई थी।आसपास के लोग आज भी इस गोचर जमीन को मनरंगथल धोरा के साथ साथ मामड़ीया जी का धोरा भी कहते हैं। मामड़ीया जी आवड जी माता के पिताजी थे। वर्तमान में भी माता जी के कई चमत्कार और परचें हुये हैं जिसमें कुछ वर्ष पूर्व चालकना गांव से भवानीपुरा अलग राजस्व गांव बनाया गया। जिसमें मंदिर स्थित वाले क्षेत्र का नाम मंदिर के कारण मां भवानी के नाम पर भवानीपुरा रखा गया जबकि बाकी दूसरे क्षेत्र का नाम चालकना रखने का प्रस्ताव रखा गया। जिसको ग्राम पंचायत से प्रस्तावित कर, सरपंच, पटवारी, ग्राम सेवक तहसिलदार सभी ने मौका स्थिति देखकर प्रस्तावित किया। जिसमें मंदिर वाले भाग को भवानीपुरा एवं दूसरे भाग को चालकना भेजा था लेकिन जब राजस्व विभाग से गांव घोषित हुआ तो चालकनेची के मंदिर वाला भाग चालकना ही रहा और दूसरा भाग भवानीपुरा घोषित हुआ। इससे प्रशासनिक अधिकारियों के साथ साथ गांव वाले भी चकित रह गए और इसे चमत्कार मानते हैं। दूसरा चमत्कार आस पास सभी जगह टुबेल (कुआं ) का पानी खारा है जबकि मंदिर में स्थित ट्यूबवेल ( बेरी) का पानी मीठा है। मंदिर की पौराणिक और ऐतिहासिकता  को देखते हुए राजस्थान सरकार ने 05 बीघा भूमि आवंटित कर चार करोड़ की लागत से बाड़मेर जिले का एकमात्र पैनोरमा श्री चालकनेचीं पैनोरमा स्वीकृत किया था। वर्तमान में यह पैनोरमा पूर्ण होने की स्थिति में है इस पैनोरामा में श्री चालकनेचीं माता जी के जीवन एवं चमत्कार का वर्णन मूर्तियो एवम चित्रण के माध्यम से उल्लेखित किया जाएगा। यह पैनोरमा मंदिर के पास स्थित ऊंचे टीले (धोरे) के शिखर पर बनाया गया है जिससे इस पैनोरमा की भव्यता अधिकत दिखाई देती है। इस ऐतिहासिक स्थान पर जगत जननी मां भगवती करणी जी की आराध्या देवी मां भगवती आध्यशक्ति मां आवड़ जी महाराज के पावन धाम मनरंगथल, चालकना में श्री आदेश से आगामी 21 फरवरी 2024 को ऐतिहासिक स्वरूप में होने जा रहे *अखिल भारतीय चारण गढ़वी शक्ति संचय मय मातृभक्त महासम्मेलन एवं सम्मान समारोह* की तैयारीयां भव्य रूप स प्रारंभ हो चुकी है, इस भव्य कार्यक्रम को लेकर अब तक गुजरात के बनासकांठा, राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर के साथ मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा ओर दिल्ली तक  इस भव्य कार्यक्रम को लेकर बैठके ओर निमंत्रण पत्रिका श्री चालकनेची माताजी मंदिर सेवा संस्थान, चालकना द्वारा पूर्ण रूप दिया गया। आगामी निमंत्रण सम्पूर्ण भारतवर्ष में बैठके व निमंत्रण पत्रिका वितरण को लेकर प्रवास बैठकें अनवरत जारी है।

🙏मां भगवती की परम कृपा से हम सभी मिलकर इस महाआयोजन को सफल करेंगे।

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