. || गीत नवां नुं गीत ||
. रचना: जोगीदान गढवी (चडीया )
. छंद : त्रोटक नी चाल
. रचना: जोगीदान गढवी (चडीया )
. छंद : त्रोटक नी चाल
बहु सोर बकोर करे अबके गीत चीत हीलोळ न ऐक चले
धीब धीब अवाज धींबांग धमा बीन बांध समा झीक झाक झले
बिन राग, उडे ज्यम काग, ने ढोलक वाग रीयुं बस ताल वीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||01||
धीब धीब अवाज धींबांग धमा बीन बांध समा झीक झाक झले
बिन राग, उडे ज्यम काग, ने ढोलक वाग रीयुं बस ताल वीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||01||
नर नारीयुं उंधेय कांध नचे नव सेह सरम्म ने सोहतां हे.
ध्रीज बांग ध्रीजांग ध्रीजांग ने तालेय मांन मुकी पथ मोहता हे
मन मीत न प्रित के सीत बजे सूर गीत खळे खर खोल कीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||02||
ध्रीज बांग ध्रीजांग ध्रीजांग ने तालेय मांन मुकी पथ मोहता हे
मन मीत न प्रित के सीत बजे सूर गीत खळे खर खोल कीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||02||
दीये नांम डीजे रमी आम रीजे खोटा बोल सुणे कोय नाई खीजे
मुकी लाज अने मरजाद धमाचक लटक्क मट्टक खुब लीजे
समजाय नही ईक बोल भलो ज्यम चांग उचांग मे गाय चीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||03||
मुकी लाज अने मरजाद धमाचक लटक्क मट्टक खुब लीजे
समजाय नही ईक बोल भलो ज्यम चांग उचांग मे गाय चीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||03||
नवी शेल छकेल ने खेल सुजे जुनी रीत रीवाजुं ने रोळता हे
भुलीया भुतकाळ ने भाव भलो अब बाप नी ईज्जत बोळता हे,
हलकी हलवे नीज केड्य कहे गीत टोकर मंदीर टीन्न टीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||04||
भुलीया भुतकाळ ने भाव भलो अब बाप नी ईज्जत बोळता हे,
हलकी हलवे नीज केड्य कहे गीत टोकर मंदीर टीन्न टीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||04||
जोगीदान ने आवांय गांन सुंणी अपमांन भळातुंय भारत नुं
नव शारदा के नव आरदा के नव अंतर ना कोई आरत नुं
बहु बोल भर्या वण तोल ने अक्खर भाव टटोल न ऐक भीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||05||
नव शारदा के नव आरदा के नव अंतर ना कोई आरत नुं
बहु बोल भर्या वण तोल ने अक्खर भाव टटोल न ऐक भीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||05||
(रोड पर जोयेल एक द्रस्य पर थी...आज ना युगना गीतो ये करेल
संस्कृति नी दुर्गती नो चितार करवानो प्रयास..).
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संस्कृति नी दुर्गती नो चितार करवानो प्रयास..).
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