शंकर सुखकर शांतिकर,
दुःखहर दीनदयाल,
हे हर दुःख हरज्यो हवे,
झट लेज्यो संभाल।
दुःखहर दीनदयाल,
हे हर दुःख हरज्यो हवे,
झट लेज्यो संभाल।
कालहर कष्टहर रोगहर रोरहर,
पापहर पिडाहर
प्राणेश्वर प्यारेहो।
सुखप्रद संपप्रद संपती सुतोषप्रद,
शांतिप्रद सर्वभ्रांती
श्रेय करनारेहो
दास दुःखहारी कालपाष के विनाशकारी,
सर्वशक्तिमान आशुतोष
नाम वारेहो।
भारीभयकारी येहै मेरीहै बिमारी तामे शिवप्रियकारी तुम रक्षक हमारे हो।
पापहर पिडाहर
प्राणेश्वर प्यारेहो।
सुखप्रद संपप्रद संपती सुतोषप्रद,
शांतिप्रद सर्वभ्रांती
श्रेय करनारेहो
दास दुःखहारी कालपाष के विनाशकारी,
सर्वशक्तिमान आशुतोष
नाम वारेहो।
भारीभयकारी येहै मेरीहै बिमारी तामे शिवप्रियकारी तुम रक्षक हमारे हो।
जाके रक्षक धुरजटी,
महाकाल के काल,
ताहीको क्या करीशके,
कलेश बिचारा काल।
महाकाल के काल,
ताहीको क्या करीशके,
कलेश बिचारा काल।
यह कवित दोहा यही,
पढही जो रोगीष्ट,
ताही मानुष को त्वरीत,
रोग होईहै मूक्त।
पढही जो रोगीष्ट,
ताही मानुष को त्वरीत,
रोग होईहै मूक्त।
कृर्ता कवि शंकरदानजी देथा।
लींमडी,
टाईपरायटींग बलवंतसिंह मोड,
बावला।
लींमडी,
टाईपरायटींग बलवंतसिंह मोड,
बावला।
भूलचुक क्षमा करशो।
हर हर महादेव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें