. || ईरखा ने अंहकार ||
, रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
, दोहा
कई कई ने थाक्या क्रशन , खुट्यो कदी ना खार
जगथी जशे न जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०१
देवो पण थाता दखी, चडीया जो जुग चार
जवां सदा थी जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०२
पोतानी आखी प्रथी, करे न होय करार
जुवो सिकंदर जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०३
फकिर थया पण लई फरे, ममता तणो मदार
जो में त्याग्युं जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०४
सबळ करो जब साधना, ईरखा परे अपार
जीती गयो हुं जोगडा, ऐ पण थ्यो अंहकार.०५
ममता ने माया मुकी ,सूंन्य थया मां सार
जगत पुरांणुं जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०६
घाम सकळ फरशो घरा,पुज्ये न थाशो पार
ज्यां लग घट मां जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०७
दबवी सके न दैत ने, ईश्वर ना अवतार
जीवे हजी पण जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०८
अंगत पर ना आवसे, एज करे अणसार
जीतवुं कई रीत जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०९
ब्रह्मा ने शिव बाघता, हुं पद कर हुंकार
जीव जीते शे जोगडा, ईरखा ने अंहकार,१०
जुठुं खरुं शूं जोगडा, समज पडे नई सार
ईश्वर ने पण आवता, ईरखा ने अंह कार,११
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