.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

11 जुलाई 2016

वरह ने वरहाद - रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)

,            *|| वरह ने वरहाद ||*
,   *रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)*
,     *ढाळ: पग मने धोवा दो रघुराय*

वरह ने वरहाद हवे तारा छोरुंय पाडे साद, माटे हवे वरह ने वरहाद जी
छोरुं पाडे साद एने बउ आवे तारी याद, माटे हवे वरह ने वरहाद....टेक

जो तुं नावे तोतो जीव जावे अने बधुं थाये बरबाद जी(०२)
मलक बधो जेने बाप माने (०२) ई खेडून बेहे खाद
माटे हवे वरह ने वरहाद जी

पाडे धरणी प्रेम थी ई नावलीया सूंण नाद जी(०२)
मारीय जाने मेघा घणी, (०२) हवे आंटो तुं ऐकाद
वाला हवे वरह ने वरहाद जी

पंखी झाड ने पांदडा एमां बपैयो नई बाद जी(०२)
ईंदर कां ते आदर्यो आ (०२) तारा वालां थी विखवाद
मानी जाने वरह तुं वरहाद जी

जाड काप्यां तोय जाळुं न लागी आ धरा ने धनवाद जी(०२)
जरी न सोभे जोगडा, (०२) आंम, वडां करतां वाद
माटे हवे वरह ने वरहाद जी

🌨🌨🙏🏼🌨🌨🙏🏼🌨🌨🙏🏼

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT