.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

8 जुलाई 2016

कवि काग नी वात - प्रस्तुति, कवि चकमक.

राजुला पंथकना रत्न समान, मा शारदानी कृपा प्राप्त, जीवनना आगवा दशॅनकार कवि 'काग ' लोकस्मृतिमां वणाई गया छे.
ऐक वखत भावनगरथी नीकळी  ढसा स्टेशने वहेली सवारे रेलगाडी बदली डुंगर जता कवि कागने मघुर अवाजे गवातुं गीत अने तेना शब्दो काने पडया, '' पग मने घोवा दयो रधुरायजी '' जोयुं तो ऐक प्रज्ञाचक्षु भाई भीक्षाथेॅ ऐक तारवाळा वाजिंत्र साथे गीत गाता हता. कवि कागे गायकने बोलावी सामी सीट उपर प्रेमथी बेसाडी पछी पूछयुं के आ कोनुं गीत गाय छे ? गायके जवाब आप्यो के कवि कागनुं, कविऐ पूछयुं के तने केटलां गीतो कवि कागना आवडे छे ?
जवाबमां गायक ऐक पछी ऐक गीत गातो गयो '' वडलो कहे वनराईओ सळगी '' आवकारो मीठो आपजे '' ऐम रचनाओनुं गान गायकने भावविभोर करतुं रह्युं. गायकने ख्याल नथी के जेनी समक्ष गाय छे ते कवि छे, दाशॅनिक छे, गायक छे, भकत छे, समाज सुघारक छे.
ढसाथी उपडेली गाडी त्रण कलाके सावरकुंडला थई डुंगर पहोंची कवि कागने उतरवानुं स्टेशन आव्युं ते पहेला कविऐ प्रज्ञाचक्षुनी पीठ थाबडी अभिनंदन, प्रशंसा साथे ( ते जमानामां ) अगियार रुपिया रोकडा प्रज्ञाचक्षुने हाथमां आप्या. कविऐ पोतानी ओळखाण आपी अने गायकनी आंखोमांथी श्रावण-भादरवो वहेवा लाग्यो, भकतने भगवाननो साक्षात्कार थतां जे आनंदनी भरती चडे तेवुं दश्य खडुं थयुं. पैसा लेवानी गायके ना पाडी पण कविना आलिंगन स्वीकार करी गायक अने कवि छूटा पडया...!
आजे संस्कार विनानुं साहित्य, दान विनानुं घन, संवेदना विनानो माणस, प्रमाणिकता विनानो व्यवसाय, वैराग्य विनानो साघु, परोपकार विनानुं शोयॅ, अने वफादारी विनानो सेवक आ बघु जोईऐ छीऐ त्यारे  कवि चकमकने कहेवानुं मन थाय के माँ नागबाई श्राप आपवानो समय तो हवे आवे छे. क्षमा करजे श्राप न आपती पण कवि चकमकने ढांकणीमां पाणी लई डूबी मरवानुं मन थाय छे.
जय माताजी.
प्रस्तुति, कवि चकमक.

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT