कुछ नकाबपोश चहेरे मेरे मुल्क में छीपे है
उन चहेरों से नकाब हटाना तो होगा
देश भक्ती के अाडंबर में गद्वार छीपे है
उन्हे देश के सामने लाना तो होगा
लीखी गई कई कविता फीरभी न जागे लोग
कलम छोड शस्र अब उठाना तो होगा
ये सफेद कुर्ते के भीतर काले हैवान
इन्हैं कुछ सबक शिखाना तो होगा
बांट कर रखदी ईंन्सानियत मजहबों में
"देव" इनको खुर्शी से हटाना तो होगा..
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें