जन्मास्टमी नी शुभःकामना
, *|| भोळा भरवाडीया ||*
, *रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)*
हे ओल्या भोळा भरवाडीया ने केजो, गोकुळ हवे हीबके चड्युं छे,
एतो मांने तो मनवी लेजो , गोकुळ हवे हीबके चड्युं छे, ,,,,टेक
जगवी नेह केम हाल्यो तुं जादवा, मुकी ने एकलां अमने माधवा,,
एने गोपीयुं ना सम दई ने केजो, गोकुळ हवे हीबके चड्युं छे,,,०१
व्रज ना झाड पान रोवे वेलडीयुं, मुंगा थ्या मोरला ने सूंनी ढेलडीयुं,,
हे एने यमुना ना सम दई ने केजो ,गोकुळ हवे हीबके चड्युं छे,,
गोरी गावडीयुं ने खड नई खावा, ध्रपीने वाहरुं जाय नई धावा,,,
हे एने नंद ना सम दई ने केजो, गोकुळ हवे हीबके चड्युं छे,,,
मही ना माट ने वागे ना काकरी, अबखे पडी हवे शेरी ए आकरी,,
हे एने वांसळी ना सम दई ने केजो, गोकुळ हवे हीबके चड्युं छे,,
बनी छे बावरी रोई ने राधा, मुकी ने हालीयो ज्यारथी माधा,,
हे एने राहडा ना सम दई ने केजो, गोकुळ हवे हीबके चड्युं छे,,
कह्युं ते आटलुं माने जो कानजी,, जसोदा रीझसे ने रीजे जोगीदानजी,,
हे एने वालप ना सम दई ने केजो,, गोकुळ हवे हीबके चड्युं छे,,,
, *(जय श्री राधे कृष्ण)*
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