.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Buy Now Kagvani

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

19 सितंबर 2016

मां सोनल वंदना _ चरज : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*मा सोनल वंदना*
           *चरज*
राग.हळवे पोंखोरे तमे धीरे...

आवता रेजो रे मां आवता रेजो रे,
युगे यूगे अवतार लुई ने आवता रेजो रे,
उजाळता रेजो रे मां उजाळता रेजो रे,
शूध कूळ छे आदी चारणो नू उजाळता रेजो रे....टेक..

होय जो गूना रे मां जूग ना जूना रे,
माफी आपीने अमने उगारता रेजो रे..1

नावडी जूनीरे मां वावडो धूनीरे,
दधी दोयलो तोफानी तरवो तारता रजो रे...2

सत्त ना चूके रे पापे पग ना मूके रे,
सहू चारणो ने शिख मां रुडी आपता रेजो रे...3

नथी नोधारा रे अमे टायला तारा रे,
परचा वाळी पोतावट पाळता रेजो रे...4

फळ फूल थी फैली रे अमाणा वंशनी वेली रे,
रखवाळी मां रात-दी-सोनल राखता रेजो रे..5

खोळले लेजो रे हरियाळी हेत नी देजो रे,
छोरु जाणी *दिलजीत* ने मां
संभाळता रेजो रे...6
        आवता रजो रे मां-

*मां सोनल भाव वंदना*

*दिलजीत बाटी* *ढसा जं.*
*ना जै माताजी*
*मो ..9925263039*

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT