.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

આઈશ્રી સોનલ મા જન્મ શતાબ્દી મહોત્સવ તારીખ ૧૧/૧૨/૧૩ જાન્યુઆરી-૨૦૨૪ સ્થળ – આઈશ્રી સોનલ ધામ, મઢડા તા.કેશોદ જી. જુનાગઢ.

Buy Now Kagvani

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

28 अक्तूबर 2016

सुर्य नारायण ने अर्पण भाव :- देव गढवी

*सुर्य नारायण ने अर्पण भाव*

दीशता सुरज भाण दुर थयो अंधकार
युगो-युगो थी जागृत देव,तुं तारणहार

कीरणो पंथे वसुंधरा बन्यो पालन हार
जगतात नो पण तात तुं,ऐवा सर्जनहार

खुद ज्वाला भणी करे जगत नो संचार
निज तेज आपे चंद्र ने,शीतणता अपार

धगधगती ज्वालाओ नो तारी ऐक सार
धगी ने पण भलु करो,केम भुले संसार

विर चारण आई तणो वचन निभावनार
अडग अविचण रही,बोले बंधाई रहेनार

फक्त देवानी टेक राखी कदी न मांगनार
शीश नमावी वंदन देव,तुने हजारो वार

(उपर प्रथम पंक्ति मां उगतां सुरज देव माटे "उगतां" नी जग्या पर "दिशता" शब्द प्रयोग करेल छे जेनो अर्थ "जोता(देखाता) ऐवो थाय छे कारण के सुर्यनारायण अवीचल अडग छे ते स्थिर छे ते उगतां के आथमतां नथी पृथ्वी तेना फरते प्रदक्षिणा करती होवा थी आपणे तेना थी विमुख थई जतां रात पडे छे ऐटले आपणे सुरज आथम्यो ऐवो आभास थाय छे)
भुल-चुक क्षमा आपी ध्यान दोरवुं🙏🏻

✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
       कच्छ

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT