*धुतारा ज पुजाय छे*
निर्दोष भावे मजबुर नो हाथ क्यां पकडाई छे
साचा ह्रदय ना मानवी हवे मन मां मुंजाय छे
कली ना युग मां तो हवे धुतारा ज पुजाय छे
अगणीत आपे ऐनुं नाम गणी-गणी लेवाय छे
टेरवे यंत्र बांधी हवे जुवो प्रभु स्मरण थाय छे
कली ना युग मां तो हवे धुतारा ज पुजाय छे
हवे लाचारो ने मदद करवा हाथ क्यां देवाई छे
मंदीरो मां तख्ती लगाडी जाहेरात कराय छे
कली ना युग मां तो हवे धुतारा ज पुजाय छे
गरीब ने देवा तो ऐनी आवक पुछी लेवाय छे
मंदीर नी आवक नो हीसाब क्यां पुछाई छे?
कली ना युग मां तो हवे धुतारा ज पुजाय छे
जे भाव नो भुख्यो छे ऐने चादरो चडावाई छे
ठंडी मां बालक ऐक खुला वदने सुई जाय छे
कली ना युग मां तो हवे धुतारा ज पुजाय छे
भोला बालुडा नी हवे खबरो क्यां पुछाय छे?
श्रीमंत ना श्वानो ना जन्मदीवस उजवाय छे
कली ना युग मां तो हवे धुतारा ज पुजाय छे
हे प्रभु तारा देह पर नित वाघा बदली देवाई छे
देव कपडुं दई कोईनी मर्यादा क्यां ढंकाई छे?
कली ना युग मां तो हवे धुतारा ज पुजाय छे
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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