.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

18 जनवरी 2017

डींगळी गीत : अठताळो -रचयिता : रामचंद्र मोड

डींगळी गीत : अठताळो
रचयिता : रामचंद्र मोड

अहीं में भाषांतरित करेल कडी़ मुकु छुं, मारा पूर्वज वीठा महेडू ना रामचंद्रजी खास मित्र हता, वळी तेमनी रचनाओं अप्रकट छें तेथी एक मित्र ऋण चूकववाना हेतूसर में मारी आगामी पुस्तक प्रास्ताविक चारणी गीत संग्रह मां तेमनी केटलीक रचनाओ समाविष्ट करीं छें, आशरें 375 वर्ष जुनी चारणी कलम नें वाचा आपवानों आ यत्न छें, वळी शब्दचित्र शुं छें ए मर्मज्ञ जन आस्वादे ए शुभ हेतूसर,

पडे पट झर लोह पासट :
मडे दैता कंध मरकट :
वहे लोहळ खाळ दोहुवट :
गळें जोगण रगत गटगट :
पडे़ धर सर ग्रींध झटपट :
ढळे राखस ढाण |
थाट भेळा अडे बेथट :
घणा असुरा हाड कंध घट:
जोध जुटे खडा कें जट :
असुर खूटें पीयें आवट :
आसटें जाणें तीर अणमट :
रावणं रध राण  ¦ नं. 3 कडी (नमूना रूपे प्रस्तुत, राम-रावण युध्द प्रसंग मां कपि-राक्षस तुमुल युद्ध नुं शब्दचित्र )

शब्दार्थ  : १.पासट= प्रासट, पछडाट
२. पट = वस्त्र 
३. लोह = लोखंडी (आयुध)
४. कंध =खंभा
५. मरकट =मर्कट, वानर
६. दैता =दैत्यों (बहुवचन)
७. मडे =लागवु, चोंटवु
८. लोहळ = लोही नीं
९. खाळ= धारा
१०. दोहुवट =बंने बाजु, बेधारी
११.  जोगण =६४ जोगणी
१२.  रगत =रक्त, लोही
१३.  ग्रींध =गीध पक्षी
१४.  राखस =राक्षस
१५.  ढाण =ढगला
१६. थाट = थड़कारों
१७.  बेथट = बंने पक्ष नों थड़कारों
१८.  हाड =हाडका
१९. जोध =योध्धा
२०. आवट =अपेय (अहीं रूधिर)
२१. जट =जटाळा
२२. अणमट = मटकु न मारे तेटला समय मां, निमिष मात्र मां.
२३. आसटें =अथडावुं
२४. रध राण = राघव,  राम राजा

भावार्थ =
लोखंडी पट्टीशो, भाला, तरवार आदि राक्षसों ना अस्त्र-शस्त्रादि थी रक्तरंजित थयेला वस्त्रे वानरों झाड़ परथीं फळ तोडे़ तेम राक्षसों नां खंभे चडी नें मस्तकों तोडी रह्या छे. असुरो नां वानर द्वारा कपायेला मस्तक मांथी छूटेली रक्तधारा पर वानरों नां रक्तरंजित वस्त्रों परथीं टपकतां रूधिर नी बेधारीं रक्तधार चाली छें, जेनुं जोगणीओं पान करी रही छें. वळी, कपायेला राक्षसों नां मस्तकों गीध पक्षीओं झडप थीं लई - लई नें आकाश मार्गे उडी़ रह्या छें.  आ रीते मस्तक विनाना राक्षसों ना धड ना ढगलेढगला खडकाई रह्या छें.
वानरों तथा राक्षसों नी सामसामी छाती अथडावाथी जे थड़कारों थाय छें तेनी तिव्रता थीं राक्षसों नां खभा खडी जाय छे, छाती ना हाडका-पांसळा भांगी नें घट (ह्रदय) नें चीरी रह्या छें. 
बीजी तरफ निमिष मात्र मां अहीं थीं तहीं जतां राम - रावण नां तिरों सामसामां अथडाई रह्या छें. 

- भाषांतरकार =
©आनंद महेशदान महेडू  |🌻🙏

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT